Wednesday, July 5, 2017

साधन संपन्न आम आदमी -सतीश सक्सेना

            आज आपने जीवन की सबसे लम्बी साइकलिंग की , 61 km ,3 घण्टे में पूरे हुए इस बीच 3 मिनट का नेहरूपार्क पर रुक कर बॉडी स्ट्रेचिंग की !
            बेहतरीन मौसम में पैडल मारते हुए मैं याद कर रहा था जब 1977 में दिल्ली आया था नौकरी ज्वाइन करने ,तब से अब तक एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब मैं कह पाता कि आज मैं पैदल 1 km बिना मोटर साइकिल या कार के चला ,38 वर्ष निकाल दिए मैंने आलस्य में, बिना पैरों का उपयोग किये, यह ज़हालत का सबसे बड़ा नमूना था ! आम आदमी जैसा था मैं, जिसकी सोंच थी कि साधन संपन्न होने का अर्थ अपने शरीर को आराम देना और बढ़िया भोजन बस ! 
            मगर अब मैं आम आदमी जैसा सुस्त और ढीले शरीर का मालिक नहीं, 63 वर्ष की उम्र में मैंने धीरे धीरे अपने शरीर को लगातार घंटो दौड़ना सिखा दिया ,आज 61 km साईकिल 20 km /hour की स्पीड से तय करके शरीर की अपरिमित शक्ति को महसूस कर अच्छा लग रहा है !

#हिन्दी_ब्लॉगिंग

11 comments:

  1. तीन घंटे लगातार साईकिल चलाना.. वाकई मानव के पास अपरिमित क्षमता है, हम कितना कम उपयोग कर पाते हैं इसका, बधाई ! शारीरिक क्षमता की तरह बौद्धिक क्षमता भी इसी तरह बढ़ती रहे इसके लिए ब्लॉगिंग एक अच्छा उपाय है..

    ReplyDelete
  2. उम्र का तकाजा है....समझ जरा देर से आती है लेकिन अधिकांश तो सायकिल से चलना मतलब अपना स्टेटस सिंबल गिराना ही समझते है। घर में ही एक्सरसाइज के नाम पर पैडल मारकर काम चला लेंगे लेकिन चार कदम नहीं चलेंगे
    प्रेरक

    ReplyDelete
  3. आकर्षक स्फुटीकरण ।

    ReplyDelete
  4. शरीर को जिस अनुरूप ढालेगे वैसा ही बनेगा।हम सबको शारीरिक क्रियाकलाप के प्रति जागरूक रहना चाहिए ताकि स्वस्थ्य एवम् निरोग रहा जा सके।
    आपकी स्टेमिना वाकई में काबिले तारीफ है।

    ReplyDelete
  5. आज पहाड़ में तक बच्चे स्कूटी प्रयोग करने लगे हैं पाँच मिनट की दूरी भी पैदल चलना नागवार है। मैंने अभी तक मोटर ना साइकिल ना मोटर साईकिल ली क्योंकि इस बहाने से रोज घर से विद्यालय तक आना जाना एक घंटे का चलना हो जाता है। शुगर की बीमारी का बढ़ना पहाड़ में चिन्ताजनक है। सेना के इलाके में एक पुराना सूचना पट है जिसपर लिखा है "Its fashion to walk in Hills not to ride a Car"

    ReplyDelete
  6. कभी लिखा भी था इसपर http://ulooktimes.blogspot.in/2011/11/its-fashion-to-walk-in-hills-and-not-to.html

    ReplyDelete
  7. सत्यता को स्वीकार करना बड़ा ही कठिन कार्य है किन्तु आपने इसे बड़े ही सरल ढ़ंग से व्यक्त किया है ,बहुत ख़ूब! आदरणीय ,आभार। "एकलव्य"

    ReplyDelete
  8. वीर तुम बढ़े चलो...धीर तुम बढ़े चलो...

    जय हिन्द…जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    ReplyDelete
  9. बहुत सही..आप तो प्रेरणास्त्रोत हैं..बनाये रखिये..बधाई

    ReplyDelete
  10. और कितनों के लिए प्रेरणा

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,