Tuesday, April 4, 2017

बड़े बेचैन हैं वे लोग , जो सब याद रखते हैं - सतीश सक्सेना

हमारे यार, धनदौलत, जमीं, जायदाद रखते हैं !
नवाबी शौक़, सज़दे के लिए, सज्जाद रखते हैं !

मदद लेकर हमारी वे हुए , गद्दी नशीं जब से !  
सबक यारों को देने, साथ में जल्लाद रखते हैं !

वे अब सरदार हैं बस्ती के, हैरत में हूँ मैं तबसे,
हमारे संत धन्धों  से , नगर आबाद रखते हैं  !

वही कहलायेंगे शेरे जिगर, जंगल में रह के भी  
वे अंतिम साँस में भी, हौसला फौलाद रखते हैं !

ये चोटें याद रखने की, हमें आदत नहीं यारों !
बड़े बेचैन हैं वे लोग , जो सब याद रखते हैं !

13 comments:

  1. लगता है देख कर उनको वो कुछ याद रखते हैं
    लिखते हैं कुछ लोग किताबें वो अपने पास रखते हैं।

    वाह बहुत सुन्दर ।

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  2. दिनांक 06/04/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंदhttps://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
    आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
    आप की प्रतीक्षा रहेगी...

    ReplyDelete
  3. दिनांक 06/04/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंदhttps://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
    आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
    आप की प्रतीक्षा रहेगी...

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  4. वे अब सरदार हैं बस्ती के,मैं हैरत में हूँ जबसे,
    हमारे संत सन्यासी , महल आबाद रखते हैं !
    वाह ! बहुत खूब पंक्तियाँ आदरणीय

    अर्ज किया है,
    फ़िक्र न कर ऐ रोने वाले ,वही आएंगे सजदा करने
    तेरी चौखट पर एक दिन
    दुनियां में दिखावों की ,झूठे ताज रखतें हैं।

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  5. बहुत खूब ... आखरी शेर तो जानलेवा ... सच है भूल जाना चाहिए बीती को ...

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  6. बहुत बढ़िया

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  7. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/04/14.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  8. वाहवाह......
    लाजवाब

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  10. रचना का बहुआयामी स्वरुप खुलकर कहता है अपनी बात। बधाई।

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  11. प्रभावपूर्ण रचना

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  12. वाकई आखरी शेर तो जानलेवा

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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