Monday, June 6, 2016

रूद्र अब की बाढ़ में इस देश का कूड़ा गहें - सतीश सक्सेना

रूद्र अब की बाढ़ में इस देश का कूड़ा गहें !  
धवल खद्दर वस्त्र पहने,कुछ मदारी तो बहें !

हे प्रभु भूकम्प का कुछ हो असर मेरे देश में !
नफरतों की,रंजिशों की,कुछ दिवारें तो ढहें !

धूर्त  गुरु, मक्कार चेले , हैं इसी उम्मीद में !
धुर गंवारों की गली में भाग्य इनके भी जगें !

मान्यवर की बेहयाई,है शिखर पर आजकल  
मन वचन कर्मों से डाकू,शक्ल से साधू लगें !

धर्म रक्षक भी परेशां, ताकत ए साईं की देख
कैसे इस दमदार शिरडी को भी,गेरू से रंगें ! 

12 comments:

  1. पृथ्वी पर जब अन्याय, अत्याचार, ढोंग, चोर-लफंगों ढोंगी लोगों का भार बढ़ जाता है तब प्रकृति अपना काम एक दिन जरूर करती हैं. भले ही देर से लेकिन अंधेर हर समय नहीं रहता। .

    आपका आक्रोश मुखर हुआ है कविता में ...

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  2. हो रही घर घर
    की नौटंकियों
    के परदे गिरें
    पढ़े लिखे जमूरे
    अपने दिमाग से
    कभी तो खुद सोचें
    भरे हुए गोबर
    का कुछ जतन करें :)

    वाह दमदार ।

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 08 जून 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  4. भाई वाह ... झूमती हुयी मस्त ग़ज़ल में सभी बातें कमाल की हैं .... काश ऐसा हो सके इन बार ...

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  5. बहुत उम्दा। वाह।

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  6. वाह...बहुत ख़ूबसूरत और सटीक ग़ज़ल...

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  7. देश की काहिल और बुरी तरह जंग खाई व्‍यवस्‍था और उसके नीति नियंताओं पर तीखा व्‍यंग्‍य करती है आपकी यह काव्‍य रचना। अच्‍छी रचना के लिए आपका आभार।

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  8. सुन्दर रचना

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  9. सटीक ग़ज़ल बहुत उम्दा :)

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  10. ढह ही जानी चाहिए ये बुराइयां। जबरदस्त रचना।

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  11. बहुत ही ऊंची बात इस रचना के माध्यम से कह दी आपने, बहुत शुभकामनाएं।
    रामराम
    #हिंदी_ब्लागिंग

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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