Tuesday, November 18, 2014

मैं गंगा को ला तो दूंगा पर क्या धार संभाल सकोगे - सतीश सक्सेना

अगर हिमालय ले अंगड़ाई,कैसे भार संभाल सकोगे !  
सूरज के,नभ से बरसाए क्या अंगार, संभाल सकोगे ?

सृजनमयी के पास , अनगिनत रत्नों के भंडार भरे हैं !
मैं गंगा को ला तो दूंगा,पर क्या धार संभाल सकोगे ?

सारे जीवन गीत लिखे हैं , निर्धन और अनाथों पर, 
जाने पर मेरे  गीतों के , दावे दार संभाल सकोगे  ?

जीवन भर तुम रहे साथ में,ऊँगली पकडे पापा की  
बेईमानों बटमारों में ,क्या व्यापार संभाल सकोगे ?

खाली हाथों आया था मैं , खूब लुटाकर जाऊंगा ,
हँस हँस कर ली जिम्मेदारी बेशुमार संभाल सकोगे ?

14 comments:

  1. खाली हाथों आया था मैं , खूब लुटाकर जाऊंगा ,
    हंस हंस कर ली जिम्मेदारी बेशुमार,संभाल सकोगे ?
    ..बहुत बढ़िया सार्थक सन्देश ...

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  2. बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ

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  3. बहुत सुन्दर विचार ,अति उत्तम

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  4. वाह--ये तो आपका भागीरथ प्रयास होगा ---सही है इन प्रयासों को कोई सम्भालनेवाला भी तो चाहिये ---अभूतपूर्ब अभिव्यक्ति

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  5. वाह ! जोश भरा जज्बा...प्रभावशाली पंक्तियाँ

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  6. खाली हाथों आया था मैं , खूब लुटाकर जाऊंगा ,
    हंस हंस कर ली जिम्मेदारी बेशुमार,संभाल सकोगे ?
    सार्थक सन्देश ...

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  7. main kal aa kar waapas chali gai comment box hi nahin khul paaya
    bahar haal bahut umda\ khaas kar ye ash'aar

    अगर हिमालय ले अंगड़ाई,कैसे भार संभाल सकोगे !
    सूरज के,नभ से बरसाए क्या अंगार, संभाल सकोगे !

    सृजनमयी के पास , अनगिनत रत्नों के भंडार भरे हैं !
    मैं गंगा को ला तो दूंगा,पर क्या धार संभाल सकोगे ?


    अगर हिमालय ले अंगड़ाई,कैसे भार संभाल सकोगे !
    सूरज के,नभ से बरसाए क्या अंगार, संभाल सकोगे !

    सृजनमयी के पास , अनगिनत रत्नों के भंडार भरे हैं !
    मैं गंगा को ला तो दूंगा,पर क्या धार संभाल सकोगे ?

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  8. खाली हाथों आया था मैं , खूब लुटाकर जाऊंगा ,
    हंस हंस कर ली जिम्मेदारी बेशुमार,संभाल सकोगे ?
    खाली हाथ कोई नहीं आता साथ में अनेक संभावनायें भी लाता है जीवन एक अवसर है कुछ होने के लिए कुछ पाने के लिए और पानेवाला ही खूब लुटाता है बेशर्त ! सुन्दर रचना !

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  9. पीड़ा के संग आह्ववान और उत्तरदायित्व का बोध कराती गीतों की माला

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  10. सारे जीवन हमने सबको, दिल में बसाकर रखा है !
    मर जाने पर इन गीतों के, दावेदार संभाल सकोगे ! ..
    वाह ... हर पांति पर वाह वाह ही निकलता है ... लाजवाब गीत ...

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  11. ये इंतजामात करना
    इनको बहुत आता है
    क्या नहीं कर सकते हैं ये
    हर एक इनमें से
    शिव के पास शायद जाता है
    आप ले भी आयेंगे गंगा
    इनको कुछ नहीं होगा कहीं
    रास्ते में से पानी चुरा कर
    उधर पहुँचाना भी
    इन्हे बहुत आता है :)

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  12. सारे जीवन हमने सबको, दिल में बसाकर रखा है !
    मर जाने पर इन गीतों के, दावेदार संभाल सकोगे !
    .................प्रभावशाली पंक्तियाँ

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- सतीश सक्सेना

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