Wednesday, November 5, 2014

तुम्हें देखकर बस मचल ही तो जाते - सतीश सक्सेना

अचानक मुझे पा , बदल ही तो जाते ,
अदेखा मुझे कर निकल ही तो जाते !

विदाई से पहले , खबर तक नहीं की  
तुम्हें देखकर, बस मचल ही तो जाते !

बुलावा जो आता तो आहुति भी देते  
हवन में भले हाथ, जल ही तो जाते !

अगर विष न होता तो नारी को दुमुहें  
न जाने कभी का, निगल ही तो जाते !

अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते ! 
असल देखकर बस दहल ही तो जाते !




18 comments:

  1. Bulawa jo aata to aahuti dete..hawan me bhale haath jal hi to jaate ... Lajawaab likhate hain aap... Aapki har gazal me gahre bhaaw hote hain.... Badhayi va shubhkamnaayein !!

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  2. कितने मोहकता से आपने सच्चाई को व्यक्त किया है

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  3. बहुत ही सुन्दर सर जी

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  4. क्या खींचा है मुखौटा ऊपर वाला
    निकला?
    नहीं जी
    बहुत पक्का
    चिपका हुआ है :)

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  5. बहुत सुंदर भावाभिव्यकति ।

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  6. वाह...बहुत बढ़िया !!

    सादर
    अनु

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  7. अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
    असल देखकर बस दहल ही तो जाते
    ....बहुत खूब।

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  8. अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
    असल देखकर बस दहल ही तो जाते
    ....बहुत खूब।

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  9. अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
    असल देखकर बस दहल ही तो जाते ..
    गहरी बात कह गए सतीश जी ... समाज के दोगलेपन पर तमाचा ...

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  10. गंगा-स्नान/नानक-जयन्ती(कार्त्तिक-पूर्णिमा) की सभी मित्रों को वधाई एवं तन-मन-रूह की शुद्धि हेतु मंगल कामना !
    अभूत ही सच कहा है आप ने !

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  11. सच्चाई पेश करती है पंक्तियाँ

    कसावट लाजवाब

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  12. बुलावा जो आता तो आहुति भी देते
    हवन में भले हाथ, जल ही तो जाते !
    क्या बात है बढ़िया शेर है !

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  13. अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
    असल देखकर बस दहल ही तो जाते
    ...वाह...लाज़वाब प्रस्तुति...

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति !

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  15. मुखौटे के बिना दहल जाते तो फिर मुखौटे ठीक है।

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  16. बुलावा जो आता तो आहुति भी देते
    हवन में भले हाथ, जल ही तो जाते !
    बहुत ख़ूब !

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  17. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

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- सतीश सक्सेना

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