Wednesday, July 16, 2014

अब आया हूँ दरवाजे पर,तो विदा करा कर जाऊँगा ! - सतीश सक्सेना

जाने से पहले दुनियां को,कुछ गीत सुनाकर जाऊंगा !
अनुराग समर्पण निष्ठा का सम्मान बढ़ाकर जाऊंगा ! 

श्री हीन हुए स्वर,गीतों के , झंकार उठाकर जाऊंगा !   
अनजाने कवियों के पथ में,ये फूल चढ़ाकर जाऊंगा !

निष्कपट आस्था श्रद्धा का अपमान न हों,बाबाओं से  
स्मरण कबीरा का करके,शीशा दिखलाकर जाऊँगा !

लाचार वृद्ध,अंधे,गूंगे, पशु, पक्षी की तकलीफों को !
लयबद्ध उपेक्षित छंदों में,सम्मान दिलाकर जाऊँगा !

कुछ वादे करके निकला हूँ अपने दिल की गहराई से
अब आया हूँ दरवाजे पर,तो विदा कराकर जाऊँगा !

26 comments:

  1. अहा ! शब्‍द-शब्‍द अंतर्मन में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है .... इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिये आभार
    सादर

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  2. सार्थक उद्देश्य जीवन का !!
    शुभकामनाये !

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  3. मरने से पहले दुनियां को,कुछ गीत सुनाकर जाऊंगा !
    हिंदी कविताओं,गीतों में,कुछ योगदान कर जाऊंगा !
    "हर बीज में छिपी हुई है , फूल होने की अभिलाषा
    हर फूल में बीज होने की, देखना कल फिर खिलेगा "
    यही तो योगदान है जो आपकी इस रचना से स्पष्ट हो रहा है !

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  4. कुछ वादे करके निकला हूँ अपने दिल की गहराई से
    अब आया हूँ दरवाजे पर,तो विदा करा कर जाऊँगा !

    वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ...

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  5. आमीन...बहुत सुंदर भाव भरा गीत..

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  6. लयात्मक गति से झर झर झरते हुए सुरभित पुष्प से सुन्दर शब्द … शुभकामनाएं

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  7. हमेशा नहीं और हर व्यक्तित्व पर नहीं, पर कुछ लोगों में और कभी कभी आक्रमकता अच्छी भाती है । प्रशंसा करने में थोड़ा कँजूस हूँ और कभी कभी थोड़ा मीन मेख निकालने की आदत भी है । सो उम्मीद है कि आप "निन्दक नियरे राखिये" में भी विश्वास रखते होंगे । अभी हाल ही में फेसबुक पर आपसे परिचय हुआ है जिस के माध्यम से ये कविता का लिंक प्राप्त हुआ । कविता के बारे में कुछ न कहकर सिर्फ इतना कहूँगा कि आपके ब्लॉग की शीर्षक पँक्ति "माँ की दवा,को चोरी करते,बच्चे की वेदना लिखूंगा !" मुझे बहुत भायी ।

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    1. स्वागत के साथ ही आभार आपका !

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  8. भाई जी सुंदर कविता लिखते है
    लेकिन शुरु मरने की बात से क्यों करते हैं
    कहिये ना गाता रहूँगा गाता जाउँगा
    कितने मरेंगे आगे आगे को पता नहीं
    मुझे तो बहुत दूर तक गाना है
    मैं तो कहीं भी नहीं जाउँगा :)

    खूब लिखिये अभी कम से कम 100 साल और लिखिये :)

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    1. अभिभूत हूँ आपके स्नेह के लिए, आभार डॉ जोशी !!

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  9. लिखिए ,हृदय में जब वंचितों के लिए इतना ग़ुबार भरा हो ,वाणी जब अनायास फूट पड़ी हो, उन वेगवान स्वरों को कौन प्रतिबंधित कर सका है !

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    1. आपका आशीर्वाद शक्ति देने के लिए पर्याप्त है , सादर !!

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  10. आशा विश्वास को मजबूत करता ... लाजवाब गीत सतीश जी ...

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  11. वाह... बहुत सुन्दर

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  12. आत्म विश्वास हो तो आदमी कुछ भी कर गुजरता है ,होंसला बुलंद हो तो मंजिल मिलती ही है , सुन्दर रचना

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  13. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

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  14. This comment has been removed by the author.

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  15. एक सच्चे गीतकार की यही अभिलाषा होती है और आप का तो हृदय ही गीत रचना के लिए बना है . इस सुन्दर मर्म स्पर्शी गीत के लिए बधाई

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  16. जब कलम उठाई हाथों में , लोगों ने छींटे , खूब कसे !
    स्मरण कबीरा का करके,शीशा दिखला कर जाऊँगा !
    दिल को छूती रचना ....
    स्वस्थ्य दीर्घायु की शुभ कामनाएं

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  17. Lajawaaab rachna bhawanayein sunder hai....geet gaate jaayiye aur likhate jayiye...shubhkamnaayein

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  18. bhavpurn,khubsurat rachna....

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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