Thursday, May 7, 2015

कुछ तो बातें, ख़ास रही हैं चेले में - सतीश सक्सेना

कैसे यह सरदार गिर गया खेले में,
कुछ तो गहरी बात, रही है चेले में !

कैसे बादल फटे,अभी तो फेंका था   
इतनी ताकत कहाँ लगी थी,ढेले में !

गाली देकर,इनके ही सारथियों ने  
रथ के पीछे, बाँध घसीटा मेले में !

ऐसे ही शुभ लाभ  चाहने वालों से  !
लालाजी बिक गए नकासे,धेले में !

पुनर्जन्म लंकेश का हुआ रघुकुल में
अबकी राम लड़ेंगे, युद्ध अकेले में !


29 comments:

  1. बहुत धमाकेदार प्रस्तुति...

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  2. राम ने हंस कर सब सुख त्यागे,
    और तुम दुखों से डर कर भागे,
    देखो ओ दीवानों तुम ये काम ना करो,
    राम का नाम बदनाम ना करो...

    जय हिंद...

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  3. क्या बात है, बहुत मौजूँ रचना है।

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  4. सतीश सर बेहतरीन रचना है व प्रस्तुति भी लाजवाब , धन्यवाद !
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  5. रोज राम की कसमें,खाने वालों ने
    रुला दिए खुद राम, अयोध्या मेले में !
    -
    -
    Kya baat hai ,,,,, waaah

    Lajawab rachna hai

    Badhayi / Aabhaar

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  6. बहुत उम्दा सामयिक गजल....।

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  7. कमाल...
    ये पहले युग पुरुष कहाये जाते थे,
    बड़ा ही कड़वा स्वाद है, वृद्ध करेले में !
    बहुत बढ़िया रचना..
    सादर
    अनु

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  8. उम्दा सामयिक चिंतन भरी प्रस्तुति.. .

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  9. क्या बात है खींच कर लपेटा है :)

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  10. वर्त्तमान राजनैतिक परिदृश्य में आपकी यह कविता आपके अंतस की वेद्ना को व्यक्त करती है.. कोई भी सम्वेदंशील व्यक्ति नैतिक मूल्यों के इस पतन पर चुप नहीं बैठ सकता. आपकी इस रचना को मेरा प्रणाम, बड़े भाई!!

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  11. घर के मुखिया के लिए भारतीय संस्कार क्या कहते है :) ??

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  12. बहुत खूब...बहुत बढ़िया रचना..

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  13. This is how one takes reverse-turn for political gains. But do not forget this country is Auranzebs also who got killed his brother Dara & Murad, and captivated his father in Agra fort.However no analogy here.

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  14. करारी चोट है आज की गिरावट पर !

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  15. बहुत बढ़िया..

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  16. no better words can describe the fate Advani ji and the truth of our times.

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  17. आज के अबूझ हालत पे सज्ञान लेती आपकी कविता---भगवान भी अकेले खड़े पाये जायेंगे--कितने अर्थों को अपने में समोये.

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  18. वाह, बहुत खूब। उम्‍दा अभिव्‍यक्ति।

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  19. बहुत ही अर्थपूर्ण भाव हैं रचना में ... सुन्दर ...

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  20. सरल भाषा , दमदार प्रस्तुति, बधाई

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- सतीश सक्सेना

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