Saturday, March 15, 2014

कैसे कैसे लोग यहाँ, इंसान बताये जाते हैं -सतीश सक्सेना

माथे लंबा तिलक लगाये  
रूप धुरंधर बना लिया !
एक हाथ में रामायण 
दूसरे में डंडा उठा लिया !
वोट मांगते द्वार द्वार  ,
कुलवान बताये जाते हैं !
राजनीति में हैं जब से , गुणवान बताये जाते  हैं !

देश भक्ति के गाने गाकर 
सारे जग को मूर्ख बनाकर
भरे तिजोरी अपनी जाकर 
धर्म,देश गुणगान सुनाके 
सेवा कर मेवा खाओ, 
गुरुवाण बताये जाते हैं ! 
लिए तमंचा चाकू, ये हनुमान बताये जाते हैं !

नैतिक सामाजिक मूल्यों 
में बड़ी बनावट आयी है, 
राजाओं के आचरणों में 
बड़ी गिरावट, आयी है  ! 
चोर, उचक्के , राजा के , 
दीवान , बताये जाते हैं !
करें दलाली फिर भी, सेवादार बताये जाते हैं !

नोट करोड़ों पड़ें दिखायी 
कीर्तन करते राजगुरु का !
इंतज़ार मे बस चुनाव के 
वंदन गाते महाबली का ! 
सारे शहर में भोंपू से , 
कुलवान  बताये जाते हैं !
धन के बल पर बस्ती में,बलवान बताये जाते हैं !

पढ़े नहीं पर करें दलाली  
राजनीति से, नोट कमाए
बच्चों बच्चों ने देखा है ,
भोलेजन को मूर्ख बनाए 
बटमारों  की टोली  में , 
इंसान  बताये जाते हैं ! 
गलियों में  तस्वीर लगा, भगवान् बताये जाते हैं !

घर के बूढ़े मार लालची 
अश्वमेध को निकले हैं !
और पुलिंदे हत्यारों  के 
शोधपत्र में , बदले हैं !
हाथ खून से रंगे देश की 
आन बताये जाते हैं !
चोर उचक्के शंकर का, वरदान बताये जाते हैं !

लगता अपना धर्म इन्हीं 
के बल पर चलता आया है ! 
इन्ही के बल पर लगता
जैसे देश सुरक्षित पाया है !
लम्बा चोगा पहनाकर,
अफगान बताये जाते हैं ! 
चिथड़े हैं, पर रेशम का ,ये थान बताये जाते हैं !

चुनाव धुलाई मशीन : आभार काजल कुमार 


18 comments:

  1. वाह....सामयिक दर्द।

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  2. बहुत बेहतरीन लिखा है आपने सतीश जी..बधाई..

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  3. बहुत बढ़िया ..होली की शुभकामनायें

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  4. सामयिक उम्दा प्रस्तुति...!
    होली की हार्दिक शुभकामनायें ।

    RECENT POST - फिर से होली आई.

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  5. A fair satire on modern day character of so called higher ones. Satish ji has good flavor to depict the social dichotomies.

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  6. देश को यही देखना लिखा हो तो भाग्य को ही कोस सकते हैं।

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  7. कैसे कैसे लोग यहाँ, इंसान बताये जाते हैं -
    बहुत बढ़िया......सार्थक हमेशा की तरह !!
    सादर
    अनु

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  8. सभी की मति मारी गई है तभी तो देशका बंटाढार हो रहा है .

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  9. परम्पराओं की तुलना में विवेक को महत्व दिया जाना चाहिए । सदैव की तरह सुन्दर प्रस्तुति ।

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  10. सुंदर रचना...रंगों से सराबोर होली की शुभकामनायें...

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  11. वाह ... बहुत ही करारा ... तेज धार लेखनी की .. मज़ा आ गया सतीश जी ... लाजवाब ...
    होली की हार्दिक बधाई ...

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  12. सुन्दर प्रस्तुती,आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  13. ज़माना ही बस इनका रह गया है , लोग इनके पीछे ही भागते है क्या कर लीजे आप,जब सब इधर ही भाग रहा है सिवाय सर मारने के

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  14. सुन्दर रचना हमेशा की तरह काजल कुमार जी का यह
    कार्टून बड़ा अच्छा लगा :)

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  15. बहुत सुंदर.
    होली की शुभकामनाएँ !

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  16. रंगों का ये पर्व खूब मुबारक़ हो आपको...

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  17. बहुत बढ़िया ..सुन्दर,सामयिक प्रस्तुति...

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  18. नैतिक सामाजिक मूल्यों
    में बड़ी बनावट आयी है,
    राजाओं के आचरणों में
    बड़ी गिरावट आयी है !
    चोर, उचक्के , राजा के , दीवान बताये जाते हैं !
    करें दलाली फिर भी, पालनहार बताये जाते हैं !
    -
    -
    क्या बेबाक सच्ची तस्वीर खींची है ,,,जितनी भी तारीफ़ करूँ कम है,,,, पढता गया और यूँ लगा मानो मंच पर बेहतरीन काव्य-पाठ चल रहा है ।

    अभिनन्दन ! अभिनन्दन !! अभिनन्दन !!!
    हार्दिक बधाई

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- सतीश सक्सेना

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