Monday, March 5, 2012

इस होली पर क्यों न साथियो,आओ सबको गले लगा लें -सतीश सक्सेना

अपने घर में ही आँखों पर 
कैसी पट्टी , बाँध रखी है  ! 
इन  लोगों ने जाने कब से ,
मन में रंजिश पाल रखी है !
इस होली पर क्यों न सुलगते,
दिल के ये अंगार बुझा दें !
मुट्ठी भर कुछ रंग,फागुन में, अपने घर में भी, बिखरा दें 

मानव जीवन पाकर कैसे , 
बुद्धि गयी है,बिलकुल मारी ! 
खनक चूड़ियों की सुनते ही 
शंख ध्वनि से, लगन हटायी !
अपनों की वाणी सुनने की,
क्यों न आज से चाह जगा लें !
इस होली पर माँ पापा की ,चरण धूल को शीश लगा लें !

बरसों मन में गुस्सा बोई
ईर्ष्या  ने ,फैलाये  बाजू ,
रोते  गाते,हम लोगों ने 
घर बबूल के वृक्ष उगाये 
इस होली पर क्यों न साथियों,
आओ रंग गुलाल लगा लें ?
भूलें उन कडवी बातों को, आओ  अब  घर द्वार सजा लें !!

कितना दर्द दिया अपनों को 
जिनसे हमने चलना सीखा  !
कितनी चोट लगाई उनको 
जिनसे हमने,हँसना सीखा  !
स्नेहिल आँखों  के  आंसू , 
कभी नहीं जग को दिख पायें !
इस होली पर,घर में आकर,कुछ गुलाब के फूल चढ़ा लें !

जब से घर से दूर  गए हो ,
ढोल नगाड़े , बेसुर लगते !
बिन प्यारों के,मीठी गुझिया,
उड़ते रंग, सब फीके लगते !
मुट्ठी भर गुलाल फागुन में, 
फीके चेहरों को महका  दें !
सबके संग ठहाका लेकर,अपने घर को स्वर्ग  बना लें !

90 comments:

  1. आपकी कामना बहुत भली है। ईश्वर करे ये सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हों।

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  2. बरसों मन में गुस्सा बोई
    ईर्ष्या ने ,फैलाये बाजू ,
    रोते गाते,हम लोगों ने
    घर बबूल के वृक्ष उगाये
    इस होली पर क्यों न साथियो,आओ रंग गुलाल लगा लें ?
    भूलें उन कडवी बातों को, आओ अब घर द्वार सजा लें !!

    बहुत खूबसूरत शब्द दिये हैं अपनी भावनाओं को ... होली की शुभकामनायें

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  3. .......रोते गाते,हम लोगों ने
    घर बबूल के वृक्ष उगाये .............
    सुन्दर रचना के लिए आभार.होली की हार्दिक शुभ कामनाये !

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  4. कितना दर्द दिया अपनों को
    जिनसे हमने चलना सीखा !
    कितनी चोट लगाई उनको
    जिनसे हमने,हँसना सीखा
    स्नेहिल आँखों के आंसू , कभी नहीं जग को दिख पायें !
    इस होली पर घर में आकर,कुछ गुलाब के फूल चढ़ा दें !

    Read more: http://satish-saxena.blogspot.com/2012/03/blog-post.html#ixzz0dj2i7CUw
    सुन्दर भाव गीत .होली मुबारक .

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  5. Replies
    1. अरविन्द जी ,
      सतीश भाई इसी तर्ज़ पर लिखते रहें तो आप उनके लिए एक नग कमंडल और दो तीन जोड़ी गेरुए वस्त्रों की व्यवस्था कर दें !

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  6. कामना बढिया है लेकिन सबको गले लगाने में लफ़ड़े की भी गुंजाइश है। :)

    होली मुबारक हो।

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    Replies
    1. @ अनूप भाई,
      भावनाएं भी कैसी कैसी ...
      अपनी ही रचना का यह अर्थ मुझे नहीं मालूम था गुरु :-)
      आभार !

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    2. होली का अवसर है सो कामना से ग्रीवा मिलन का विचार अतिउत्तम ! सब लोग आपके जितने सदाशयी नहीं होते जो ग्रीवा मिलन तक ही ठण्ड रखें :)

      बहरहाल आपकी कामना और अनूप जी की भावना और रचना(ओं) को होली की बहुत बहुत मुबारकबाद :)

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  7. बहुत सुन्दर! शुभ होली!

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  8. सच में बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना |होली पर हार्दिक शुभकामनाएं |
    आशा

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  9. कितना दर्द दिया अपनों को
    जिनसे हमने चलना सीखा !
    कितनी चोट लगाई उनको
    जिनसे हमने,हँसना सीखा !
    स्नेहिल आँखों के आंसू, कभी नहीं जग को दिख पायें !
    इस होली पर,घर में आकर, कुछ गुलाब के फूल चढ़ा दें !

    आपके गीत लाजबाब कर देते हैं.
    प्रस्तुति के लिए आभार,सतीश भाई.
    होली की आपको और सभी जन को बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ,

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    Replies
    1. आपको होली शुभ हो राकेश भाई ....

      Delete
  10. बहुत श्रेष्ठ विचार .... रंगों की अदभुत छटा है चहुँ ओर--- एक चुटकी अबीर मेरी तरफ से

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    Replies
    1. आभार इस अबीर के लिए
      आपको होली शुभ हो रश्मि प्रभा जी ....

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  11. दिल को छूती हुई रचना है... होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  12. मुट्ठी भर गुलाल फागुन में, फीके चेहरों को महका दें !
    सबके संग ठहाका लेकर,अपने घर को स्वर्ग बना लें !

    sabke ghar ko swarg bana de....

    jai baba banaras.....

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  13. जिन लोगों ने जाने कब से ,* *मन में रंजिश पाल रखी है*
    *इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें....''

    बहुत बढ़िया सर ...होली पर्व पर हार्दिक अग्रिम बधाई और शुभकामनाएं

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  14. होली पर भी भावुक कर दिया सबको !
    बहुत बढ़िया रचना है .
    बस फोटो कुछ ज्यादा ही इंटिमेट लग रहा है :)

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    Replies
    1. वे अपने ही हैं भाई जी ...

      Delete
  15. जब से घर से दूर गए हो ,
    ढोल नगाड़े , बेसुर लगते !
    बिन प्यारों के,मीठी गुझिया,
    उड़ते रंग, सब फीके लगते !
    मुट्ठी भर गुलाल फागुन में, फीके चेहरों को महका दें !
    सबके संग ठहाका लेकर,अपने घर को स्वर्ग बना लें !

    बहुत सुंदर लगी यह पंक्तियाँ पढ़कर,
    सोच रही हूँ इन सबके बगैर घर को स्वर्ग कैसे बनाये ?
    हार्दिक बधाई होली की ........

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    Replies
    1. ठहाका लगाना तो सीखना ही होगा ....
      शुभकामनायें होली की !

      आभार !

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  16. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति। होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  17. मर्म स्पर्शी....

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  18. कितना दर्द दिया अपनो को
    जिनसे हमने चलना सीखा...बेहद मर्मस्पर्शी.....

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    Replies
    1. शहजादी का स्वागत है ...

      Delete
  19. जब से घर से दूर गए हो ,
    ढोल नगाड़े , बेसुर लगते !
    बिन प्यारों के,मीठी गुझिया,
    उड़ते रंग, सब फीके लगते !
    मुट्ठी भर गुलाल फागुन में, फीके चेहरों को महका दें !
    सबके संग ठहाका लेकर,अपने घर को स्वर्ग बना लें !

    सुंदर पंक्तियाँ अच्छी लगी रचना !
    होली की हार्दिक शुभकामनायें !

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  20. सुन्दर अनुपम गीत की अभिव्यक्ति सतीश जी ...
    हिली की बहुत बहुत शुभ कामनाएं ...

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  21. कितने सुन्दर भाव हैं !! होली की भावना से ओत प्रोत है आपकी रचना | आभार |

    होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  22. आपका सुलझा हुआ व्यक्तित्व हर कविता में झलकता है..

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    Replies
    1. शुक्रिया प्रवीण भाई ..

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  23. बहुत सुंदर भावना...यही तो होली है...

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  24. भाई जी ,आप की स्नेहभरी भावनाओं को सलाम !
    आप सब परिवार-जन को होली की बहुत-बहुत मुबारक !
    आभार याद करने का ...

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  25. अग्रज भाई सतीश जी आपको होली की बहुत -बहुत शुभकामनाएँ |ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन करते रहने के लिए विशेष आभार |

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    Replies
    1. आप बेहतरीन में से एक हैं भाई जी ....
      आपको पढना हमेशा अच्छा लगता है ...
      आभार !

      Delete
  26. पूरे घर परिवार को ....रंगों के पर्व...होली की बहुत बहुत शुभकामनएं

    ReplyDelete
  27. कितना दर्द दिया अपनों को
    जिनसे हमने चलना सीखा !
    कितनी चोट लगाई उनको
    जिनसे हमने,हँसना सीखा !
    स्नेहिल आँखों के आंसू, कभी नहीं जग को दिख पायें !
    इस होली पर,घर में आकर, कुछ गुलाब के फूल चढ़ा दें !


    भाई सतीश जी, इन पंक्तियों में छुपे दर्द को शब्दों में उकेरना बहुत ही मुश्किल है ! गीत का हर बंद जीवन के रंगों का वह सच है जिसे हम जी रहें हैं ! होली पर इस बेहतरीन रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें !
    आपको सपरिवार होली की अनंत शुभकामनाएँ !

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    Replies
    1. आप स्नेही हैं भाई जी ...
      आभार !

      Delete
  28. सतीश प्रिय!
    आप और आपके परिवार के एक बहुत खुश और रंगीन होली की बधाई. गौरव और विधि की पहली होली है. हार्दिक शुभकामनाएँ

    कितना दर्द दिया अपनों को
    जिनसे हमने चलना सीखा!
    कितनी चोट लगाई उनको
    जिनसे हमने, हँसना सीखा!
    स्नेहिल आँखों के आंसू, कभी नहीं जग को दिख पायें!
    इस होली पर, घर में आकर, कुछ गुलाब के फूल चढ़ा दें!

    वास्तव में आप एक महान कवि रहे हैं

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    Replies
    1. मैं अपने आपको कवि नहीं मानता ....मात्र अभिव्यक्ति का प्रयास करता हूँ !

      Delete
  29. बरसों मन में गुस्सा बोई
    ईर्ष्या ने ,फैलाये बाजू ,
    रोते गाते,हम लोगों ने
    घर बबूल के वृक्ष उगाये
    इस होली पर क्यों न साथियो,आओ रंग गुलाल लगा लें ?
    भूलें उन कडवी बातों को, आओ अब घर द्वार सजा लें !!

    होली पर शब्दों और भावों के संयोजन से बहुत गहरी बात कही है वैसे भी होली सभी मन मुटाव , रंजिश और शिकवा शिकायतों को भुला कर गले लग जाने का त्यौहार होता है.
    होली पर हार्दिक शुभकामनाएं !

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  30. वाह!!!!बहुत बढ़िया भाव अभिव्यक्ति,मन को छूती बेहतरीन रचना,.
    सतीश जी,बहुत२ बधाई, होली की शुभकामनाए......

    NEW POST...फिर से आई होली...
    NEW POST फुहार...डिस्को रंग...

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  31. हमने भी ऐसी ही ठानी है, शुभकामनाएं.

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    Replies
    1. आपको शुभकामनायें ...

      Delete
  32. सिर्फ होली पर ही नहीं...इस कविता का भाव प्रतिदिन पालन करने योग्य है...

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  33. जीवन हमारी ही मूर्च्छा के कारण बेरंग मालूम पड़ता है। गर थोड़ा प्रयास करना भी हो जीवन में फिर से रस-रंग घोलने का,तो बसंत से अनुकूल भला क्या होगा!

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    Replies
    1. सच कहा आपने ...प्रयास तो करना ही होगा !
      शुभकामनायें आपको !

      Delete
  34. मुट्ठी भर गुलाल फागुन में, फीके चेहरों को महका दें !
    सबके संग ठहाका लेकर,अपने घर को स्वर्ग बना लें !
    bahut sunder rachna ...

    ReplyDelete
  35. बहुत ही उम्दा ख़्यालात को आपने होली संकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। रंगों का यह उत्सव यही कुछ तो संदेश देता है।

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  36. होली के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं सतीश जी |कविता बहुत रंगभरी |
    आशा

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  37. इस खूबसूरत पर्व पर इससे सुंदर संदेश और कोई हो भी नहीं सकता था सतीश भाई । अर्सा बीत गए आपसे मुलाकात हुए । लगता है अब हमें ही बैठकी बुलानी पडेगी

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    Replies
    1. आयोजन करें ...
      काफी दिन से कुछ चटकदार नहीं हुआ :-)

      Delete
  38. होली की अग्रिम शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  39. कितना अच्छा हो यदी हम सब यह समझ सके ..होली की हार्दिक बधाई ...आप सब को =

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  40. कितना अच्छा हो यदी हम सब यह समझ सके ..होली की हार्दिक बधाई ...आप सब को =

    ReplyDelete
  41. .


    बहुत सुंदर दिल को छूती हुई भावपूर्ण रचना है…
    आभार !


    आपको सपरिवार होली की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं !

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  42. सुंदर संदेश ....


    ब्लॉग पर आकर उत्साह बढाने का हार्दिक धन्यवाद सतीश जी,

    आप को भी होली की खूब सारी शुभकामनाएं

    नई पोस्ट

    स्वास्थ्य के राज़ रसोई में: आंवले की चटनी
    razrsoi.blogspot.com

    ReplyDelete
  43. बहुत सुन्दर रचना सर....
    कोमल कामनाओं से सजी आपकी रचना ने दिल को छू लिया...
    आपकी होली शुभ हो...

    सादर.

    ReplyDelete
  44. बहूत -बहूत सुंदर रचना
    सुंदर प्रस्तुती:-)
    होली कि शुभकामनाये

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  45. होली की यही भावना इसका सच है -
    सबमें व्यापे और सफल हो !

    ReplyDelete
  46. leo....hum bhi aa gaye line me samne lagao hame bhi gale.......

    kavitaiyi kya karte ho bhaijee....bas rulate ho....


    pranam.

    ReplyDelete
  47. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    कल 07/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .

    धन्यवाद!


    '' होली की शुभकामनायें ''

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  48. सुन्दर प्रस्तुति !
    होली की ढेर साडी शुभकामनायें !

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  49. बहुत बढ़िया सन्देश देती सुन्दर रचना...
    होली की आपको सपरिवार शुभकामनायें!

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  50. बहुत सुंदर रचना....
    शुभकामनाए....

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  51. होली की स्नेहिल शुभकामनाएं...

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  52. भूले भटके उन अपनों के ,
    कैसे दरवाजे , खुलवाएं ?
    जिन लोगों ने जाने कब से ,
    मन में रंजिश पाल रखी है
    बहुत सुन्दर सन्देश
    होली की शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  53. बहुत सुंदर रचना....
    होली की शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  54. खनक चूड़ियों की सुनते ही
    शंख ध्वनि से लगन हटाई- Beautifully put together

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  55. इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें !


    शुभकामनाएं......!!

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  56. आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सादर

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  57. सुंदर संदेश. आपको होली की हार्दिक शुभकामानाएँ.

    ReplyDelete
  58. "जिन लोगों ने जाने कब से ,
    मन में रंजिश पाल रखी है
    इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें !
    मुट्ठी भर कुछ रंग,फागुन में,अपने घर में भी बिखरा दें !"

    बहुत ही सुंदर और श्रेष्ठ भावाभिव्यक्‍ति !
    होली मुबारक

    ReplyDelete
  59. होली की बहुत-बहुत बधाई सतीश जी। रचना के बारे में सिर्फ यही कि आध्यात्मिकता के रंगो से सराबोर रचना। शुक्रिया।

    ReplyDelete
  60. आभार शिवम् भाई,
    होली पर आपको शुभकामनायें ...

    ReplyDelete
  61. आभार अतुल भाई ....
    होली की शुभकामनायें आपको !

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  62. भावपूर्ण प्रस्तुति...
    आपको सपरिवार होली की शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  63. Sparkling colours of HOLI may paint your life in a very colourful way to make you prestigious,honourable and lovable all around.Happy Holi.

    ReplyDelete
  64. प्रिय प्रसन्न वदन जी ,
    होली की अशेष शुभकामनायें !
    कई ब्लाग्स पर आपकी समयानुकूल टीप पढ़ी फिर आपका ब्लॉग देख ही रहा था कि एक विचार यह कौंधा कि कहीं ये सारे ब्लागर्स एक साथ आपकी यही टीप आपकी रचना को समर्पित कर दें तो कैसा लगेगा :)

    होली है :)

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  65. वाह सतीश जी बहत शानदार कविता लिखी है बहुत उत्तम सीख देती हुई होली की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  66. नमस्कार आप को होली की हार्दिक शुभकामनायें. होली रंगों का त्यौहार आप को सापेक्ष रंगीन बनावें और आपकी हर कामनाएं पूर्ण हो.
    बहुत ही सुंदर और श्रेष्ठ भावाभिव्यक्‍ति .

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  67. sandesh detee badiya rachana .
    Happy holi .

    ReplyDelete
  68. हाय! गीत पढ़कर मन साधू हो गया।
    दो गले मिलकर भी अब क्या करें, हाथ जोड़ें सलामती की दुआ करें:)

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  69. bahut hi sundar satis ji ,,,,,hardik badhai ke sath holi pr bhi hardik shubhkamnayen.

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  70. सद्भावना कविता पढने वालों में आ जाये तो क्या बात ...
    होली मुबारक !

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  71. इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें !
    मुट्ठी भर कुछ रंग,फागुन में,अपने घर में भी बिखरा दें !"

    बहुत ही सुंदर और बढ़िया भावाभिव्यक्‍ति !

    MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...

    ReplyDelete
  72. अपनों के संग रंग खेल कर मन के सारे गिले शिकवे दूर करने के लिये ही तो ये त्यौहार आते हैं ।
    बहुत सुंदर कविता, प्रेरक भी ।

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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