Friday, January 29, 2010

अमन की आशा !!

                            "अमन की आशा" टाइम्स ऑफ़ इंडिया और जंग (Pakistan )द्वारा उठाया गया एक बेहद मीठा और स्वागत योग्य कदम है ! आज के बेहद कडवे माहौल में, जब दोनों देशों में सिर्फ एक दूसरे के प्रति मारने काटने की बातें ही हवा में हो रही हों, कट्टरता के मध्य अमन की आशा बहुत हिम्मत वाला और अलोकप्रिय कदम है ! एक व्यावसायिक संस्थान ने लाखों लोगों की मधुर आशाओं को जगाने के लिए, एक अव्यवसायिक और खर्चीला कदम उठाया है , मैं तहे दिल से शुभकामनायें दे रहा हूँ ! 
इसके प्रणेता देश के स्थापित शांति पुरस्कार के वास्तविक हकदार हैं ! 
भगवान् इस पुनीत कार्य में टाइम्स ऑफ़ इंडिया की मदद करें !
दुबारा शुभकामनायें !!

Saturday, January 23, 2010

दिखावे की हमारी दुनियाँ में, धीरे धीरे दम तोड़ते ये लेखक और कलाकार !!


शानदार लेखनी के धनी, शहरोज के  एक मार्मिक लेख   "जिंदादिल इंसान और उम्दा लेख़क का जाना " ने आज सुबह सुबह हिला कर रख दिया , बहुत दिनों के बाद फिर एक मार्मिक विषय मिला  कुछ कहने के लिए ! हम लोगों के लिए , समाज के लिए, बेहतर सृजन करते ये कलाकार और लेख़क ,आर्थिक अभाव में अक्सर बेहद कमज़ोर  होते हैं ! शानदार सोच और महान विचारक, ये लोग अक्सर  मुफलिसी, भुकमरी और गरीबी न झेल पाने के कारण, असमय दम तोड़ते देखे जा सकते हैं और हम लोग ,इस महान देश के  अच्छे नागरिक , इन्हें अपनी श्रद्धांजलि  अर्पित कर अपने कर्त्तव्य की  इतिश्री कर लेते हैं !


शहरोज की डायरी में वर्णित यह घटना बरसों पुरानी है , मगर वर्षों बाद आज भी  लेख़क,प्रकाशन वर्ग से जुड़े लोगों की  स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है बल्कि स्थिति बद से बदतर होती जा रही है ! असंगठित वर्ग  की सुधि लेने के लिए सरकार अथवा समाज ने कुछ  नहीं किया  ! दुनिया और समाज की आँखें खोलने में लगे,  इन लोगों की निजी जिन्दगी बेहद कष्टदायक है ,और हम समर्थवान लोगों का मामूली सहयोग भी इनके बच्चों की आँखों में सुनहरे सपने पैदा कर सकता है ! 


यहाँ लेख़क और पाठकों में  एक से एक दिग्गज मौजूद हैं , जिनकी एक मामूली पहल से इन मुसीबतज़दा लोगों को राहत मिल सकती है ! मगर वास्तविक पहल कोई नहीं करता ...बिलकुल सच है कि...
"साहिल के तमाशाई  ! हर  डूबने  वाले पर ,
अफ़सोस तो करते हैं ,इमदाद नहीं  करते !!"


मगर शहरोज भाई ! उम्मीद ना छोड़ें , आज नहीं तो कल वह  समय भी आएगा जब लोग पछतायेंगे अपने निकम्मे पन पर , खुदा के घर देर है अंधेर नहीं है !!  

Saturday, January 9, 2010

इस तरफ आदमी, उधर कुत्ता ! बोलिए, किस को सावधान करें !

इस तरफ आदमी, उधर कुत्ता ! बोलिए, किस को सावधान करें!
सर्वत एम् जमाल के दिल से निकली यह लाइनें पढ़ कर बहुत देर तक सोचता रह गया, निस्संदेह आदमी बेहद खतरनाक है इस मासूम कुत्ते के आगे ! एक अपनी वफादारी के लिए और दूसरा अपनी

गद्दारी के लिए सारे विश्व के जीवों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किये हुए हैं ! शायद यही एक जीव ऐसा है जो कि
आदमी के जूठे टुकड़े, और गाली खाकर भी अपने मालिक की रक्षा करते हुए अपनी जान की परवाह नहीं करता ! विश्व में अपने मालिक अथवा मालिक के बच्चों की रक्षा करते हुए अपनी जान देने के हजारों उदाहरण देखे जा सकते हैं मगर अपने इस वफादार जीव की रक्षा में किसी आदमी ने अपनी जान दी हो , ऐसा एक भी उदाहरण नहीं सुना गया ! 
प्यार और स्नेह के भूखे इस जीव को, प्यार और स्नेह का नाटक करने वाले आदमी ने हमेशा धोखा देकर अपनी सेवा करने के लिए पालतू बनाया ! हम इंसानों में बहुत कम लोग ऐसे हैं जो इसकी आँखों में झाँक कर, इसमें बसे अपने प्रति, मूक प्यार को पढने का प्रयत्न करें ! इस गूंगे जीव में आदमी के प्रति बहुत प्यार और ममत्व होता है वहीं हम इंसान, इसके निष्छल प्यार के प्रति बेहद अहसानफरामोश होते हैं !
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