Sunday, July 20, 2008

अम्मा ! -सतीश सक्सेना

किस अतीत की याद आ रही 
कौन ध्यान में तुम खोई हो !
चारों धामों का सुख लेकर,
किस चिंता में पड़ी हुई हो !
ममतामयी कष्ट में पाकर, 
सारी खुशियां खो जाएंगी 
एक हँसी के बदले घर में , फिर से मस्ती छा जायेगी !

सारे जीवन , हमें हंसाया, 
सारे घर को स्वर्ग बनाया,
कितने कष्ट उठाकर तुमने
हम सबको मजबूत बनाया
तुमको अब कष्टों में पाकर,
खुशियाँ कैसे हंस पाएंगी !
एक हँसी के बदले अम्मा, फिर से रौनक आ जायेगी !

कष्ट कोई न तुमको आए
हम सब तेरे साथ खड़े हैं,
क्यों उदास है चेहरा तेरा,
इन कष्टों में साथ खड़े हैं !
ऐसे दुःख में अम्मा मुंह में, 
कैसे रोटी चल पाएगी !
एक हँसी के बदले अम्मा, घर में दीवाली आयेगी !

सबका, भाग्य बनाने वाली,
सबको राह दिखाने वाली
क्यों सुस्ती चेहरे पर आयी
सबको हँसी सिखाने वाली 
तुमको इस दुविधा में पाकर ,
घर में मायूसी छायेगी !
तेरी एक हँसी के बदले,सबकी दुनियां खिल जायेगी !

14 comments:

  1. पुज्यनिया अम्माजी को हमारा शत शत नमन !
    तुमको इस दुविधा में पाकर, हम सब कैसे खिल पायेंगे
    तेरी एक हँसी के बदले , हम सब जीवन पा जायेंगे!
    बहुत ही मार्मिक उदगार हैं !
    शुभकामनाए !

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  2. बहुत भावभीनी रचना है।

    सबका, भाग्य बनाने वाली,सबको राह दिखाने वाली क्यों सुस्ती चेहरे पर आयीसबको हँसी सिखाने बालीतुमको इस दुविधा में पाकर, हम सब कैसे खिल पायेंगेतेरी एक हँसी के बदले , हम सब जीवन पा जायेंगे!

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  3. तुमको इस दुविधा में पाकर, हम सब कैसे खिल पायेंगे
    तेरी एक हँसी के बदले , हम सब जीवन पा जायेंगे!


    --बहुत भावपूर्ण. माता जी का नमन.

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  4. keep expressing
    very nice poem

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  5. budhapa aur usmain bimari nidhaal si hui maa jisne bachhon ko bachpan se ab tak sirf diya hai aaj bhi de hi rahi hai
    sach main bhgaya banane wali maa

    aapki panktiyan rula hi gayi

    aap jaise bete sab ho sab apne maa baap ka khyaal rakh sake meri prathna rahegi

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  6. very nice peom nana ji......very expressive..keep going.

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  7. तुमको इस दुविधा में पाकर, हम सब कैसे खिल पायेंगे
    तेरी एक हँसी के बदले , हम सब जीवन पा जायेंगे!
    बहुत भावभीनी रचना है।

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  8. आप सबका उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभारी हूँ ! आशा है आगे भी स्नेह मिलता रहेगा !

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  9. maa!
    sansaar ka sabse alokik aur sundar shabd.
    iska sakaar mazeed sundar.
    maa jabhi to tere qadmon tale jannat hai
    kaise main ise sparsh na karun
    kaise main tumhain naman na karun.

    maa par likhi ja rahi kathit mukhya-dhara kavitaon se nitant alag aur prbhavi rachna.

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  10. अम्मा यह लेख मेरे से केसे बच गया पता नही.
    सतीश जी सभी माये एक सी क्यो लगती हे, चित्र देख कर लगा जेसे मेरी ही मां हो.मेने तो कविता भी नही पढी बस मां को ही देखता रहा.
    धन्यवाद

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  11. कोश के शब्द सारे विफ़ल हो गये, भावनाओं को अभिव्यक्तियां दे सकें
    शब्द तुमसे मिले, भावना कंठ सब इक तुम्हारी कॄपा से मिला है हमें
    ज़िन्दगी की प्रणेता दिशादायिनी, पूर्ण अस्तित्व का तुम ही आधार हो
    इतनी क्षमता महज हमको मिल न सकी, अर्चना जो तुम्हारी सफ़ल कर सकें

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  12. प्रेरणा श्रोत राकेश खंडेलवाल की इस अभिव्यक्ति को सादर प्रणाम ! उनकी इस मधुर मां-स्तुति से, मेरे इस गीत को जो सम्मान मिला है , मैं आभारी हूँ !

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  13. bhut badhiya. itani bhavk ki sabd hi nahi hai.

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  14. vakai kya kahe ati uttam. bhut bhavuk kar gayi rachana.

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- सतीश सक्सेना

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