Wednesday, January 21, 2015

शुभी -सतीश सक्सेना

                       यह बाल कविता मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण है अपने परिवार में , 24 -25 वर्ष पहले, अपने बड़ों को यह सबूत देने को कि मुझे वाकई कविता लिखनी आती है ,सामने खेलती हुई, नन्ही शुभी (कृति )को देख , उसके बचपन का चित्र खींचा था !!   

छोटी हैं, शैतान बड़ी पर,
सबक सिखाएं प्यार का ! 
हाल न जाने क्या होना है, शुभी की ससुराल का !

दिखने में तो छोटी हैं ,
लेकिन बड़ी सयानी हैं ! 
कद काठी में भारी भरकम
माँ , की राज दुलारी हैं !
नखरे राजकुमारी जैसे 
इनकी मस्ती के क्या कहने 
एक पैर पापा के घर में 
एक पैर ननिहाल है !
दोनों परिवारों में यह,
अधिकार जमाये प्यार का !
हाल न जाने क्यों होना है, शुभी की ससुराल का !

चुगली करने में माहिर हैं 

झगडा  करना ठीक नहीं 
जब चाहें शिल्पी अन्नू को
पापा  से पिटवाती हैं  !
सेहत अपनी माँ जैसी है 
भारी भरकम बिल्ली जैसी 
जहाँ पै देखें दूध मलाई 
लार  वहीँ टपकाती हैं 
सुबह को हलवा,शाम को अंडा,
रात को पीना दूध का !
हाल न जाने क्यों होना है , शुभी की ससुराल का  !

सारे हलवाई पहचाने 

मोटा गाहक इनको माने 
एक राज की बात बताऊँ 
इस सेहत का राज सुनाऊं 
सुबह शाम रबड़ी रसगुल्ला 
ढाई किलो दूध का पीना 
रबड़ी और मलाई ऊपर 
देसी  घी पी  जाती हैं !
नानी दुबली होती  जातीं ,  
देख के खर्चा दूध का  !
हाल न जाने क्यों होना है , शुभी की ससुराल का !

आस पास के मामा नाना 

इनको गोद खिलाने आयें
बाते सुनने इनकी अक्सर  
अपने घर बुलवायीं जाए  
तभी भी शुभी प्यारी हैं 
सबकी राज दुलारी हैं !
मीठी मीठी बाते कहकर 
सबका मन बहलाती हैं !
खुशियों का अहसास दिलाये,
किस्सा राजकुमारी का ! 
हाल न जाने क्या होना है , शुभी  की ससुराल  का  ! 

21 comments:

  1. बच्चे को जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बडी सुन्दर कविता रची आपने।

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  2. बहुत ही सुन्दर प्यारी सी कविता है जो मन को छूती है ...
    शुभी को ढेरों आशीष और शुभकामनायें ...

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  3. वाह! जब इतनी प्यारी बिटिया सामने हो तो कविता तो बन ही जाती हैं ...
    जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!

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  4. सबूत एक कवि का कविता के साथ किसने किया होगा आत्मसात अलग बात है पर जो बात आप में है उस बात में ही कुछ अलग बात है । शुभकामनाऐं ।

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  5. मजेदार कविता रची है ...

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  6. बचपन को जीते शब्द और पल
    असीम स्नेह और शुभकामनाओं सहित

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  7. बहुत-बहुत शुभकामनाएं और ढेर सारा स्नेह बिटिया को ....

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  8. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...शुभी को हार्दिक शुभकामनाएं और आशीष....

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  9. बहुत प्यारी कविता है भाई साहब! एकदम चित्र खींच दिया है आपने और इसमें सबको अपना बचपन और अपनी बच्ची दिखाई दे रही है. वैसे इसमें आज की शुभी की फ़ोटो होती तो हम भी देखते कित्ती बड़ी हो गयी है वो!! शुभाशीष शुभी को!!

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  10. जैसी नटखट बेटी ,वैसी ही चटपटी कविता -वाह सतीश जी !

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  11. बहुत प्यारी कविता...
    ढेर सा प्यार शुभी को..

    सादर
    अनु

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  12. याने की आप २४,२५ साल से लिख रहे है ??
    अब तो आपके परिवार में बड़ों को पूरा यकीन आ गया होगा की आप कितना अच्छा लिखते है :)
    प्यारी रचना !

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  13. शुभी की चंचलता का पोल खोलती सुंदर कविता. शुभी को स्नेह और शुभकामनाएं.

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  14. Very beautiful. Now Shubhi must be full woman and I wish good wishes. But this became a source to become poet, this is hilarious. Regards.

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  15. "चुगली करने में माहिर हैं
    झगडा करना ठीक नहीं
    जब चाहें शिल्पी अन्नू को
    पापा से पिटवाती हैं !
    सेहत अपनी माँ जैसी है
    भारी भरकम बिल्ली जैसी
    जहाँ पै देखें दूध मलाई
    लार वहीँ टपकाती हैं
    सुबह को हलवा,शाम को अंडा,रात को पीना दूध का !
    हाल न जाने क्यों होना है , शुभी की ससुराल का"
    bahut he sunder bhav..sunder srijan...Satish ji

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  16. एक पैर पापा के घर में
    एक पैर ननिहाल है !
    दोनों परिवारों में यह,अधिकार जमाये प्यार का !


    बहुत ही प्यारा गीत है, सक्सेना जी।

    हम तो आपको 4-5 वर्षों से सिद्धहस्त गीतकार के रूप में जानते हैं।

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  17. अनुपम रचना...... बेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो
    मुकेश की याद में@चन्दन-सा बदन

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  18. नन्हीं शुभी - सयानी को हम सब देते हैं आशीष ।
    वैसे शुभी को माध्यम बना - कर प्रशंसा पाने की आपकी तरक़ीब कामयाब हो ही गई ।
    बहुत - बहुत बधाई ।

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  19. प्यारी सी कविता है जो मन को छूती है ...

    Recent Post शब्दों की मुस्कराहट पर मेरी नजर से चला बिहारी ब्लॉगर बनने: )

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- सतीश सक्सेना

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